अंतरंग शुचिता के लिए बाहर की शुचिता भी आवश्यक है, इसलिए हम अंतर और बाहर दोनों प्रकार की नित्य एवं अवसर विशेष की स्वच्छता में विश्वास करते हैं।
आहार प्राणधारियों के प्राणों की रक्षा के लिए परमआवश्यक है, इसलिए "कोई न सोये भूखा के विचार से" हम जरूरतमंदों के लिए शुद्ध, सात्त्विक, पौष्टिक व समृद्धि की भावना के साथ रविवार को छोड़कर प्रतिदिन अक्षय आहार वितरण योजना आप-सब के साथ मिलकर चल रही है
और जानेआराम से ही हमारी समृद्ध होती है और चतुर्विध दान = आहार दान, औषधि दान, अभय दान और ज्ञान दान की हमारी परंपरा है, इस योजना के अधीन जो लोग उक्त दान व्यक्तिगत स्तर पर नहीं कर सकते, उनके दान के काम को संभव बनाना है
हम कैसे स्वयं को अपने परिवार जनों को अपने मोहल्ले अपने गाँव अपने नगर और फिर इसी क्रम में जनपद प्रांत और राष्ट्र को कैसे आत्मनिर्भर बनाएँ, इससे दृष्टि से आत्मनिर्भर भारत और गाँव संवर्द्धन योजना चला रहे हैं
और जानेअखिल विश्व जैन अभियान न्यास प्रतिभाशाली नये लेखकों व शोधकर्ताओं के द्वारा रचित रचनाओं, लेखों, विचारों को समाहित करने वाली पुस्तकों के प्रकाशन में भी सहयोग करता है
अखिल विश्व जैन मिशन की स्थापना इसके आद्य संस्थापक व संचालक डाॅ. कामता प्रसाद जैन के प्रयत्नों से वर्ष 1950 में भारतीय सोसाइटी अधिनियम के तहत हुई थी और तब से लेकर अखिल विश्व जैन मिशन सम्पूर्ण विश्व में अहिंसा और जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को लेकर संपूर्ण मानवता की समृद्धि के लिए प्रायोगिक एवं बौद्धिक स्तर पर काम करता रहा है और इसके अधिवेशन व गतिविधियाँ भारत तथा भारत के बाहर भी होती रही हैं।
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